गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था कराना ,वृद्ध बेसहारा जनों की देखरेख की जिम्मेदारी उठाना, दृष्टिबाधित जनों की हर तरह से मदद करना, दिव्यांग जनों को विविध प्रकार के उपकरण आज की व्यवस्था कराना, नेत्रदान तथा देहदान के लिए लोगों को जागरूक कराना, मतदान जैसे राष्ट्रीय पर्व के लिए अधिकाधिक मतदान हो, इस हेतु कई महीनों तक अनवरत मतदाताओं को जागरूक करना, साहित्य सम्मेलन ,विचार गोष्ठी आयोजित कराना ,अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम कराना ,राष्ट्रीय एकता हेतु भांति भांति के धरातलीय प्रयास करना, अशिक्षा के अंधेरों को मिटाने के लिए दिन रात लगे रहना ,आमतौर पर इन सब कार्यों को करने कराने के लिए अनेक प्रकार के छोटे से बड़े ओहदे के अफसरान नियुक्त होते हैं, विभिन्न प्रकार के सरकारी विभाग होते हैं परंतु जनपद अयोध्या के पश्चिमी छोर पर बसी तहसील रुदौली में रहने वाले पेशे से चिकित्सक डॉ निहाल रजा (Dr. Nihal Raza) नाम का एक ऐसा अकेला खुदा का नेक बंदा है जो इन सभी कामों को अकेले अपने दम पर करता है वह भी बिना किसी शासन-प्रशासन, राजनेता अभिनेता ,उद्योगपति धनपति की मदद लिए बिना ।बेहतरीन चिकित्सक होने के नाते डॉक्टर साहब के यहां मरीजों की भीड़ लगी रहती है ,इसलिए कुछ गरीब मरीजों से कुछ नहीं लेते, अधिकांश से बहुत ही कम पैसा लेने के बावजूद ठीक-ठाक आमदनी को जाना स्वाभाविक है। फिर उसी पैसे के दम पर खोज खोज कर दिव्यांग जनों को निशुल्क ट्राई साइकिल देते रहते हैं, जिन गरीब लोगों को दिखाई देने में बाधा आ रही है उन्हें निशुल्क चश्मे का वितरण करते हैं ,गांव-गांव घूमकर लोगों को नेत्रदान कराने के लिए समझाते हैं एवं जैसे कोई करना चाहता है उसकी पूरी व्यवस्था खुद करते हैं। जनपद अयोध्या में देहदान की परंपरा डालने वाले मसीहा के रूप में आपको देखा जाता है। आपके अटूट प्रयास से जनपद में देहदान जैसा पुनीत कार्य शुरू हो सका है। जब जब मतदान का समय आता है आप लोगों को मतदान हेतु जागरूक करने के लिए ऐसा जुट जाते हैं कि उतना कोई सरकारी मशीनरी नहीं जुड़ सकती। सामाजिक एकता के प्रबल पक्षधर होने के नाते आपको प्रत्येक जाति धर्म के लोग अत्यधिक सम्मान देते हैं। साहित्य को समाज का दर्पण मानने वाले आप प्रायः मूर्धन्य विद्वानों को आमंत्रित कर साहित्यिक गोष्ठियों कवि सम्मेलन विविध विषयों पर सेमिनार आज कराते रहते हैं ।गौरतलब इन सभी कार्यों में आप किसी से कोई मदद नहीं लेते यहां तक कि अत्यधिक शारीरिक श्रम भी स्वयं ही करते हैं। आपकी पवित्र भावना को देखते हुए कुछ भले इंसान साथ हो जाते हैं, जिससे आयोजित कार्यक्रम सरल हो जाता है ।संपूर्ण जनपद में किसी भी तरह के सामाजिक सांस्कृतिक साहित्यिक आयोजन किए जाने का कार्यक्रम तय होता है तो एक ही नाम उभरकर सामने आता है वह निहाल रजा।