“बोलना” और “प्रतिक्रिया” करना जरूरी है लेकिन “संयम” और “सभ्यता” का दामन नहीं छूटना चाहिये आजाद रहिये “विचारों” से परन्तु बंधे रहिये “संस्कारों” से।
by Newspositive
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जिंदगी का सच हम भी वही है,संबंध भी वही हैं,रास्ते भी वही है। बदलते हैं,तो सिर्फ 'समय,संजोग और नजर।
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ऐ ज़िंदगी मुश्किलों के सदा हल दे, थक न सके हम, फुर्सत के कुछ पल दे, दुआ यही है दिल से कि सबका हो सुखद आज, और उस से भी बेहतर कल दे।
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दुनिया में दान जैसी कोई सम्पत्ति नहीं, लालच जैसा कोई और रोग नहीं, अच्छे स्वभाव जैसा कोई आभूषण नही, और संतोष जैसा और कोई सुख नहीं।
“बोलना” और “प्रतिक्रिया” करना जरूरी है लेकिन “संयम” और “सभ्यता” का दामन नहीं छूटना चाहिये आजाद रहिये “विचारों” से परन्तु बंधे रहिये “संस्कारों” से।