दृष्टि बाधित होने के नाते खेल न सपने वाले, मनोरंजन नहीं कर पाने वाले, छात्रों के लिए ब्रेल लिपि में गेम्स की पुस्तक का प्रकाशन स्वयं के खर्च पर कराकर, देश के लगभग 40 शहरों में घूम घूम कर छात्रों के बीच में उसका निशुल्क वितरण करना ,देश के छात्र-छात्राओं को देश की सांस्कृतिक विरासत देश प्रेम की भावना से रूबरू कराने तथा सभी को इसके प्रति जागरूक करने के लिए स्वयं के खर्च पर पत्रक छपवा कर स्कूलों, विद्यालयों में जाकर वितरित करना तथा अपने पैसे से थैला ले लोगों के बीच में जाकर निशुल्क वितरण करना। यह सब करने वाली छत्तीसगढ़ प्रांत में रायपुर में रहने वाली शुभांगी आप्टे (Shubhangi Aapte) नामक देवी हैं ,जिन्होंने अपने जीवन को पर्यावरण संरक्षण एवं दीन हीनो के कल्याणार्थ समर्पित कर दिया है। आपको आम जनों की तरह मात्र अपनों की सफलता देखकर ही मन को संतोष नहीं हो रहा था, घर से बाहर निकलने पर वंचित, शोषित तबके के लोगों को देखने पर सारा सुख, विकास के मानदंड बेमानी से लगते ,जैसे चिढ़ाते ।विकास के नूतन पैमानो द्वारा पर्यावरणीय असंतुलन को निगलता देख बहुत पीड़ा की अनुभूति होती। आपने देखा कि पॉलिथीन आज जीवन का जैसे एक अनिवार्य हिस्सा सा हो गया है आपने यह तय किया कि कपड़े के थैले बनाकर लोगों के बीच जाकर उन्हें निशुल्क वितरित करेंगे तथा पॉलिथीन के बैग का उपयोग न करने का अनुरोध करेंगे। योजना तो बहुत अच्छी थी लेकिन इसका क्रियान्वयन इतना सरल नहीं था ।कपड़े की व्यवस्था कैसे की जाए, उनका थैला कैसे मनाया जाए, इन सब पर आने वाला खर्च कितना होगा और उसकी व्यवस्था किस तरह की जाए यह यक्ष प्रश्न सामने था ।आपने पतिदेव श्री संजय आप्टे के साथ निकलकर कपड़ा मांगना शुरू कर दिया, दर्जियों के पास जाती जो कटा हुआ ,बचा कपड़ा होता उसे मांगती थी, शुरुआत में यह कार्य इतना आसान नहीं था। लोग आपके काम की खिल्ली उड़ाते, इक्का-दुक्का लोग आधे अधूरे मन से कपड़ा देते तो कुछ लोग साफ इनकार भी कर देते थे। जो कपड़ा एकत्रित होता है उसे अपने पैसे से थैला सिलाती फिर थैला लेकर लोगों के बीच में जाकर निशुल्क वितरित करती ।लोग निशुल्क भी थैला लेने के बावजूद प्रारंभ में उपहास ही करते थे आपने कभी भी मन में निराशा को प्रविष्ट करने नहीं दिया और लगी रहे इस कार्य में। रोज का यही कार्य कपड़े मांगना ,उनका थैला सिलाना फिर उन्हें वितरित करना।धीरे धीरे लोगों के मन में आपका काम समझ में आने लगा, सब ने सोचा कि कुछ तो जरूर इस दंपति में है अन्यथा क्या आवश्यकता है इन्हें यह कार्य करने की लोगों ने आपके कार्यों में रुचि लेना शुरू कर दिया, कई तो सहयोग भाव से भी आने लगे ,धीरे-धीरे लोगों ने आपके कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी भी करना शुरू कर दिया तथा अब आपके कार्यों की सराहना भी होने लगी। जिस कपड़े के लिए आप लोगों के पास मांगने जाती थी ,कुछ लोग देते थे, कुछ नहीं देते थे। अब वही लोग खुद आपको कपड़ा देने आपके घर आने लगे, आपने थैले की सिलाई के लिए 3 महिलाओं को रख लिया, एक थैले की सिलाई में आने वाला चार रुपया आने उन महिलाओं को देती हैं ,इस प्रकार 3 महिलाओं को आपने रोजगार भी दिया है। इस तरह अब आप घूम घूम कर चारों तरफ कपड़े के थैले वितरित करती हैं ।अब आपकी चारों तरफ खूब सराहना होती है और आपके साथ लोग जुड़ कर अपने को सम्मानित महसूस करते हैं। आप वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना चुकी है। आप लेखिका भी हैं ,आपकी लगभग दर्जनभर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप बेहतरीन कलाकार हैं तथा नाट्यमंडली में भी आप कार्य करती हैं, लेकिन इन सभी में जनकल्याण की भावना ही विद्यमान रहती ।जनकल्याण की भावना से ओतप्रोत यह देवी अपने विभिन्न कार्यों से दो दर्जन से भी अधिक वर्ल्ड रिकॉर्ड गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा चुकी हैं, जो अपने आप में अद्भुत हैं ।सर्वाधिक कपड़ों के थैलों का वितरण करना, सोने से बनी विश्व के सबसे छोटी कैंची का कलेक्शन, सर्वाधिक रिंग कलेक्शन, सर्वाधिक विजिटग कार्ड, कलेक्शन, विश्व के सभी होटलों का सर्वाधिक मेनू कार्ड कलेक्शन, सर्वाधिक की चेन कलेक्शन सहित आपके नाम दर्जनों विश्व रिकार्ड दर्ज हैं।
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