मानव का कला से बहुत पुराना नाता है। शायद चित्रकला मानव द्वारा सीखी गई सबसे पुरानी कला है जिसके माध्यम से वह अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकता है। पाषाण काल में ही मानव ने गुफा चित्रण करना शुरू कर दिया था। होशंगाबाद और भीमबेटका क्षेत्रों की कंदराओं और गुफाओं में मानव चित्रण के पुरातन प्रमाण मिले हैं। आज भी मानव जीवन में कला का महत्वपूर्ण स्थान है प्रत्येक कलात्मक प्रक्रिया का उद्देश्य सौंदर्य तथा आनंद की अभिव्यक्ति होता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा इस रूप में वह अपनी भावनाओं तथा विचारों का प्रत्यक्षीकरण करता है। यह प्रत्यक्षीकरण अथवा प्रकटीकरण कला के माध्यम से ही संभव है। प्राचीन काल से ही कला को साहित्य और संगीत के समकक्ष मानते हुए मनुष्य के लिए उसे आवश्यक बताया गया है। रंग नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने का सबसे आसान तरीका होते हैं। श्री भृतृहरी ने अपने नीति शतक (Neeti shatak by Bhrathari) में स्पष्ट रूप में लिखा है कि साहित्य, संगीत, कला से विहीन मनुष्य, पूंछ और सींग रहित होते हुए भी साक्षात पशु के समान ही है…. साहित्य संगीत कला विहीनः, साक्षातपशु पुच्छ विषाण हीनः।
कहते हैं कि व्यक्ति अपने दिमाग में पेंटिंग करता है, अपने हाथों से नहीं। यह बात संगरूर, पंजाब के रहने वाली श्री निर्भय सिंह राय जी (Mr. Nirbhay Singh Rai) पर सौ फीसदी लागू होती है। 20 अप्रैल 1970 को जन्मे श्री निर्भय सिंह राय जी के पिताजी श्री मुख्तयार सिंह जी तब गृह त्याग कर चले गए जब आप बहुत ही छोटे थे, फलतः पालन-पोषण की जिम्मेदारी माताजी श्रीमती भजन कौर जी के ऊपर आ गई। अत्यधिक आर्थिक दिक्कतों के चलते पढ़ाई भी अधिक न हो सकी। आप केवल दसवीं क्लास तक ही पढ़ सके, हाँ परमपिता परमेश्वर ने बचपन से ही आपके हाथों में पेंटिंग का जादुई हुनर दिया था, जिसका बचपन से ही इस्तेमाल करना भी आपने शुरू कर दिया। बड़े होने पर घर गृहस्थी चलाने के लिए आपने एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया, लेकिन अधिक दिनों तक वहां कार्य न कर सके और उसे छोड़कर अपने मूल शौक पेंटिंग में पूर्णकालिक रूप से लग गए।
अब आपने एक से बढ़कर एक नायाब पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया। वर्ष 2015 में आपके एक छात्र ने अखबार लाकर आपको दिखाया जिसमें एक व्यक्ति द्वारा वर्ल्ड रिकार्ड बनाने की खबर प्रकाशित हुई थी, आपने बच्चे से पूछा कि क्या मैं भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बना सकता हूं, सकारात्मक जवाब मिलने पर आप इस दिशा में लग गए। विविध प्रकार की लगभग एक हजार पेंटिंग बनाने के उपरांत कुछ संस्था में आपके रिकार्ड दर्ज भी हुए परंतु आपकी इच्छा विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में अपना नाम दर्ज कराने की थी। फलतः आपने संस्था के कार्यालय से संपर्क कर आवेदन पत्र प्रेषित किया। सरसों के लगभग चार लाख पचपन हजार (455000) बीजों के द्वारा आपने प्रख्यात संत पूजनीय बाबा बुल्लेशाह जी की चित्रकारी बनाई जिसे 25 जुलाई 2015 को सरसों के सर्वाधिक बीजों से निर्मित कलाकृति (Art work with largest number of mustard seed) शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया। इसके बाद तो जैसे आपकी प्रसिद्धि एवं रचनात्मकता को पंख ही लग गए हों, फिर आपने अलग अलग रचनात्मक तरीको से और भी कई पेंटिंग बनायीं जिसमे से कुछ को पुनः गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया। इसके बाद 102000 लघु आकार सर्किल को विभिन्न प्रकार के रंगों के द्वारा आपने शहीदे आजम भगत सिंह जी की पेंटिंग आर्ट वर्क क्रिएटेड विद मोस्ट नंबर आफ सर्किल (Art work created with most number of circles) शीर्षक से एवं फिर 94500 विविध प्रकार के वाटर कलर बॉक्स के माध्यम से चार्ली चैपलिन जी की बेहतरीन पेंटिंग आर्ट वर्क क्रिएटेड विद मोस्ट नंबर आफ कलर फिल्ड बॉक्स (Art work created with most number of colour filled boxs) शीर्षक से, इसके बाद एक बार पुनः आपने 20496 आडी एवं खड़ी लाइन वाले बॉक्स (प्रत्येक बॉक्स में 9 विभिन्न रंग की लाइन) के माध्यम से क़्वीन एलिजाबेथ जी की खूबसूरत पेंटिंग बनाकर, आर्ट वर्क विद मोस्ट नंबर आफ कलर फील्ड लाइन बॉक्स (Art work with most number of colour filled line boxes) शीर्षक से अपना नाम विश्व रेकॉर्ड में दर्ज करवाया। इसके आलावा और भी आर्ट वर्क हैं जो जल्द ही वर्ल्ड रिकार्ड्स के रूप में शामिल किये जायेगे।
आप इसी प्रकार नित नए प्रयोग करते हुए नायाब पेंटिंग बनाते रहे और पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए। आपको विविध अवार्डों से प्रायः सम्मानित किया जाता रहता है परंतु श्री निर्भय सिंह जी पूर्ण सादगी से अपनी कला रूपी साधना में सतत लगे रहते है। आज आपका नाम सृजनात्मक कलाकार के रूप में बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है।