किस्से कहानियों तथा कुछ पौराणिक ग्रंथों में यह पढ़ने-सुनने को मिलता है कि कम उम्र के बच्चे ने एक नायाब कारनामा कर दिखाया लेकिन मूलतः हरियाणा में सोनीपत के सिकंदरपुर माजरा गांव (Sikandarpur majra, Sonipat, Haryana) के रहने वाले तथा अब दिल्ली के निवासी श्री अरुण गौड़ जी एवं श्रीमती नविता जी के 5 वर्षीय सुपुत्र अरिंदम गौड़ (Arindam Gaur) ने अपनी झन्नाटेदार एवम् जबरदस्त पंचिंग से लोगों को ब्रूस ली (Bruce Lee) की फुर्ती की याद दिला दी। वैसे तो खेलना बच्चों के लिए स्वाभाविक क्रिया होती है तथा इससे बच्चों के संपूर्ण विकास में सहायता मिलती है। बच्चों में चार-पांच वर्ष की उम्र में खेल की जिस भावना का उदय होता है उसका फलक पूर्व से विस्तृत होता है।

हुआ यूं कि 22 दिसंबर 2015 को जन्मे अरिंदम के पांचवें जन्मदिन पर पिताजी श्री अरुण गौड़ जी ने तोहफे के रुप में पुत्र की ख्वाहिश के मुताबिक पंचिंग बैग (Punching Bag) बाजार से खरीद कर लाए जिसे देखते ही बेटा उछल पड़ा तथा जन्मदिन भूल कर उसी में मगन व व्यस्त हो गया। माता-पिता ने प्रारंभ में बेटे के इस व्यवहार को बाल सुलभ चंचलता समझकर अधिक तवज्जो नहीं दी परंतु अरिंदम की लगन को देखते हुए शीघ्र ही वह समझ गए कि वह सामान्य व्यवहार न करके विशिष्ट तरीके से पंचिंग में डूबा रहता है। पुत्र की पंचिंग के प्रति पूर्ण निष्ठा को देखते हुए पिता ने उसे अपने स्तर से सिखाना शुरू कर दिया तथा बेटा भी प्रतिदिन घंटों तक अभ्यास करने लगा। दिल्ली के बटरफ्लाई स्कूल (Butterfly School, Delhi) में कक्षा एक (First Class) में पढ़ने वाले मास्टर अरिंदम के गुणों की खुशबू घर की चाहरदीवारी से निकलकर चारों तरफ एवं स्कूल तक पहुंचने लगी। अनवरत साधना एवं द्रुतगति से पंचिंग करते देख पिता श्री अरुण गौड़ जी के मन में यह विचार आया कि क्यों न बेटे का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) में दर्ज कराने का प्रयास किया जाए इसके लिए उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करने वाली विश्व की प्रख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book Of World Records) से संपर्क किया। संपूर्ण प्रक्रिया को जानने- समझने के उपरांत श्री अरुण गौड़ जी ने बेटे को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए मानसिक संबल प्रदान करते हुए तैयार किया और आखिरकार 30 मई 2021 का वह दिन आया जब माँ भारती के इस 5 वर्षीय बेटे ने 13 सेकेंड एवं 7 डेसी सेकंड में सौ बॉक्सिंग पंच लगाते हुए वैश्विक कीर्तिमान अर्जित किया। मात्र 5 वर्ष, 5 माह एवं 8 दिन की आयु में यह अनूठा कारनामा करने वाला मास्टर अरिंदम दुनिया का पहला बालक बना तथा इस उपलब्धि को फास्टेस्ट हंड्रेड बॉक्सिंग पंचेज (Fastest Hundred Boxing Punches) नामक title के साथ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया।

बेटे की इस बेमिसाल उपलब्धि पर न केवल माता-पिता गौरवान्वित है अपितु अनेक प्रतिष्ठित शख्शियतों द्वारा भी खूब हौसला अफजाई की जा रही है। इतनी कम आयु में ही आज अरिंदम स्टार बन गया है और आगे चलकर बेहतरीन बॉक्सर बनकर देश का नाम रोशन करना चाहता है। भारतीय दार्शनिक तो जीवन को ही खेल मानते हैं तथा कहते हैं –
“नायमात्मा बलहीनेन लभ्यो न च प्रमादात्तपसो वाप्यलिङ्गात्”
अर्थात् यह आत्मा बलहीनों के द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती, न ही उसकी प्राप्ति के प्रयास में निरन्तरता की अनुपस्थिति में प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार मास्टर अरिंदम एक बेहतरीन जीवन पथ पर तीव्र गति से अग्रसर हैं तथा भविष्य में भारतीय तारामंडल में एक आभायमान सितारे के रूप में मुकाम हासिल करेंगे।