उत्तराखंड राज्य ,वहां के लोग दोनों ही प्रकृति एवं पर्यावरण की खुशबू से आच्छादित हैं। गंगा के अविरल प्रवाह को लेकर वहां के एक मनीषियों ने प्रशंसनीय कार्य किया है। उसी उत्तराखंड की पावन धरा पर ऋषिकेश में स्थित है उस राज्य का प्राचीनतम और साथ ही उत्कृष्ट विद्यालय ऋषिकेश पब्लिक स्कूल। शिक्षा का लाजवाब परिसर, शैक्षणिक वातावरण में विद्यार्थियों के भविष्य के लिए स्कूल द्वारा ध्यान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त वहां का परिवेश कुछ मामलों में अन्य से अलग है। ज्ञानार्जन करके बच्चे अपने जीवन को बेहत रीन रूप सवार सके यह सभी का सपना होता है। परंतु उन्हें देश के प्रति ,समाज के प्रति और खासकर उस पर्यावरण के जिसमें हम जी रहे के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें उसके हीतार्थ कुछ के। यह सोच ऋषिकेश पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों पैदा करता है और प्राचार्य जी का अतुल्य योगदान रहता है ।देहरादून के रहने वाले प्राचार्य जी को यह संस्कार पिता श्री एच. एस. भंडारी (H.S. Bhandari) जी से मिला ,जो जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर थे। पर्यावरण को बचाने हेतु आम लोगों को संदेश देने के लिए डेढ़ किलोमीटर रंगोली बनाई।
आपका यह असाधारण कार्य गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ तथा आपके इस कार्य की चारों तरफ खूब सराहना हुई ।इस से प्रोत्साहित होकर आप ने एक बार फिर वर्ष 2016 में सर्वाधिक पोस्टर बनाया जो एक बार फिर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ ।पर्यावरण के प्रति अनवरत साधना आपकी चलती रहती है और 2018 में गंगा स्पर्श अभियान चलाया जिसमें एक लाख से अधिक गंगा प्रहरी आपके मार्गदर्शन में तैयार हुई हुए और 12 घंटे में 49500 छात्रों ने इसमें हस्ताक्षर किया। यद्यपि कम सरकार के द्वारा आयोजित किया गया लेकिन आपके मार्गदर्शन एवं सहयोग से यह में बेमिसाल कार्य हो सका । यह कार्य पुनः गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ।अभी आपने नर्मदा नदी के लिए अभियान चला कर फिर से असाधारण कार्य किया है।