वनस्पति एवं पक्षियों का नाता तो चोली-दामन का होता है, इंदौर, मध्य प्रदेश के निवासी प्रोफेसर अरुण खेर (Arun Kher) ने अपनी कलात्मक साधना से इस रिश्ते को और भी गहरा करने का प्रयास किया है। आज विकास की तेज आंधी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है, पक्षियों की अनेक प्रजातियों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट आ रही है तथा अनेक लुप्तप्राय होती जा रही हैं। होलकर साइंस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष रहे प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी डॉ अरुण खेर ने इसी पर्यावरणीय संकट के प्रति लोगों को सचेत एवं जागरूक करने के लिए मुर्गी के अंडों पर विविध प्रकार के पक्षियों के चित्रों को उकेरना प्रारंभ किया।

डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्राध्यापक रहे प्रोफ़ेसर यादवराव खेर के घर 24 फरवरी 1954 में जन्मे प्रोफेसर अरुण खेर ने पिताजी का अनुसरण करते हुए विज्ञान विषय से पढ़ाई करते हुए वनस्पति विज्ञान में डॉक्टरेट करने के उपरांत प्राध्यापक के रूप में पदभार सम्हाला। वनस्पति एवं प्रकृति से नाता होने के कारण पक्षियों से भी आपका गहरा जुड़ाव हुआ, लेकिन जब आपने देखा कि वर्तमान दौर में प्रकृति पर्यावरण एवं पक्षियों पर संकट उत्पन्न हो गया है तब आपने इन्हें बचाने एवं इनके प्रति आमजन को सावधान करने के लिए कला को अपना माध्यम बनाया। यद्यपि बचपन से ही आपका रुझान कला के प्रति रहा है परंतु पर्यावरण एवं प्रकृति की चिंता ने आपको इस दिशा में गहराई के साथ कार्य करने को प्रेरित किया, फिर क्या था आपके अंदर एक जुनून सा हो गया भांति-भांति के पक्षियों के चित्र अंडों पर बनाने का।

देश के कोने-कोने में अंडों पर उकेरे पक्षियों के चित्रों की प्रदर्शनी लगने लगी एवं खूब सराही जाने लगी। इन सबके पीछे आपकी बस इतनी ही ख्वाहिश है कि लोग पर्यावरण तथा प्रकृति के संरक्षण हेतु जागरूक हों। इसी दृष्टिकोण के चलते आपने अपनी इस कला को विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने का सोचा ताकि अधिक से अधिक लोगों तक आपकी बात पहुंच सके। आपने 600 से अधिक विभिन्न प्रकार के पक्षियों के चित्र बनाकर 2015 में अपना नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) (GBWR) में स्वर्णाक्षरों में दर्ज कराया, इससे पूर्व वर्ष 2009 में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में आपका नाम दर्ज हो चुका है। विगत तीन दशकों से इस कार्य में लगे प्रकृति के अद्भुत संरक्षक डॉ खेर सैकड़ों पक्षियों के चित्र बनाकर लोगों को प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करा रहे हैं बिना किसी ख्वाहिश और लोभ के, हां इतनी सी इच्छा जरूर है कि आमजन प्रकृति एवं पक्षियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें अन्यथा इसका खामियाजा सभी के लिए खतरनाक होगा।