योग सही तरीके से जीवन जीने का एक विज्ञान है इसलिए इसे दैनिक जीवन में सम्मिलित किया जाना परम आवश्यक होता है। यह व्यक्ति के जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं भावनात्मक सभी पहलुओं पर कार्य करता है। योग का अर्थ होता है एकता या बन्धन। इस शब्द का मूल संस्कृत भाषा...
जिस प्रकार सैनिक देश की रक्षा करते हैं उसी प्रकार डॉक्टर पूरे समाज के स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। डॉक्टर जीवन के उद्धारकर्ता होते हैं। चिकत्सक जो सेवा समाज को दे सकते वो सेवा कोई दूसरा नहीं कर सकता। विभिन्न बीमारियों की दवाएं तथा उपचार जो पहले संम्भव नहीं थे, पर अब...
वैश्विक स्तर पर महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment), नारी उत्थान (Women devlopment), स्त्री विमर्श आदि के दौर में क्या अभी भी इनके प्रगति के रास्ते उतने ही सहज हैं जितने का दिखावा विभिन्न मंचों पर, बड़ी-बड़ी विचार गोष्ठियों में, सेमिनार-सम्मेलनों आदि में देखने-सुनने...
बिहार के लोक-जीवन में कार्तिक माह में दीपावली के बाद आने वाली छठ तिथि को षष्ठी पर्व मनाया जाता है। छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा दो बार की जाती है। एक डूबते सूर्य की और उसके बाद उगते सूर्य की। यह पर्व उस कहावत को भी झुठलाता है कि उगते सूर्य की सभी पूजा करते हैं और...
योग भारतीय ज्ञान की पाँच हजार वर्ष पुरानी परंपरा में से एक है। हालांकि कई लोग योग को मात्र शारीरिक व्यायाम मान लेते हैं, दरअसल योग का अर्थ इन सब से कहीं व्यापक है, योगविज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया जाता है। योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर,...
सामान्य वातावरण (Environment) में जैसे ही थोड़ा सा जलवायुगत परिवर्तन (Climatic change) होता है तो हम लोग परेशान हो जाते हैं। तापमान अधिक हो जाए तो भी तथा कम हो जाए तब भी। जाड़े के दिनों में तापमान की गिरावट से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। अब यदि कई महीनों तक...
साहित्य (Literature) का अविर्भाव समाज से ही होता है जिसे साहित्यकार अपने भाव के साथ मिलाकर उसे एक आकार देता है। यही रचना समाज के नवनिर्माण में पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाने लगती है। साहित्यकार वह सशक्त माध्यम है जो समाज को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। वह समाज में...
स्कूल से लौटते ही, जल्दी से विद्यालय का कार्य निपटा कर छोटे भाइयों को अपना सहायक बनाकर, मोहल्ले के बच्चों को लेकर जुट जाते, फिर फिल्मों को बनाने व दिखाने में व्यस्त हो जाते थे। परिवारी जन बेटे को ‘किरन’ कह कर पुकारते थे। 5 जुलाई सन 1953 को पिता पंडित दिनेश...
हावी जब कटुता हो जाती, घटता जाए स्नेह।ज्यों अंदर अंदर काटता मानव को मधुमेह ।बरतना सावधानी हमने गर न रखी जारी,बीमारियां हमारे ऊपर पड़ सकती हैं भारी। वैसे तो उपरोक्त पंक्तियां स्वास्थ्य से संबंधित हैं एवं कवि ने इसे काव्य रूप अंत्यंत सुन्दर एवं सृजनात्मक रूप में लिखा...