यह अद्भुत संयोग ही है कि विश्व प्रसिद्ध ग्रंथों के रचनाकार महाकवि कालिदास जी की रचना मेघदूत (sage Kalidas authored Meghdoot) में नगाड़ा का उल्लेख किया गया है। महाकवि कालिदास जी की साधना स्थली रही उसी पावन नगरी उज्जैन के श्री नरेंद्र सिंह कुशवाहा जी (Mr. Narendra Kushwaha) नामक कला साधक द्वारा आज नगाड़ा (Nagada) पर बेमिसाल साधना की जा रही है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय मे उज्जैन में सेवारत श्री नरेंद्र कुशवाहा जी प्रयाग से संगीत प्रभाकर का डिप्लोमा ग्रहण करने के बाद नौकरी में आ गए लेकिन उनके मन में कला के प्रति समर्पित भाव हिलोरे मार रहा था फलतः आप कोई न कोई प्रयोग सदैव करते रहे।

एक बार अपने गुरुदेव से आपको यह जानकारी प्राप्त हुई कि कांच के भी ढोलक बनाए गए हैं यह सुनकर नगाड़े से विशेष प्रेम रखने वाले श्री कुशवाहा जी के मन में विचार आया कि क्यों न नगाड़ा भी कांच से बनाया जाए। बस क्या था आप लग गए इस लक्ष्य की तरफ, एक लंबी तपस्या के उपरांत वर्ष 2010 में विश्व का सबसे बड़ा कांच निर्मित नगाड़ा बनाकर आपने संगीत एवं कला जगत को अचंभित कर दिया। वाद्य यंत्रों पर नए-नए खोज करने के शौकीन नरेंद्र जी ने बांस आदि के अनेक आविष्कार करना प्रारंभ किया। बांस से 14 प्रकार के विभिन्न वाद्य यंत्र (most musical instruments made from bamboo) बनाकर 6 मार्च 2017 को श्री कुशवाहा जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में दर्ज हुआ, इसके पूर्व नगाड़ा बनाने पर भी आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (GBWR) में अपना नाम दर्ज कराया था। 12 अलग-अलग सामग्रियों जैसे कांच, लकड़ी, बांस, प्लास्टिक आदि का प्रयोग करके आपने सर्वाधिक प्रकार के डमरु (damaru) बनाकर 14 जुलाई 2017 में फिर से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। आपकी यह रंगधर्मिता अनवरत चलती रहती है साथ ही नूतन आविष्कारों की खोज भी। लोहे की छड़ों के माध्यम से आठ वाद्य यंत्र बनाने के कारण 19 सितंबर 2018 को एक बार पुनः गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराकर उज्जैन नगरी की कीर्ति पताका को आपने फहराया।

1 जनवरी 1965 को श्री श्याम लाल जी एवं श्रीमती भगवती जी के घर में जन्मे नरेंद्र कुशवाहा जी पूरे साल विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों का निर्माण करते रहते हैं तथा इन्हें विभिन्न मंदिरों को निःशुल्क अर्पित करते हैं। आपकी इस असाधारण रंग धर्मिता को देखते हुए समय-समय पर अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया जाता रहता है। इसप्रकार अभी तक आपको सैकड़ों अवार्ड से विभूषित किया जा चुका है।