लोहे की कीलों का क्या उपयोग होता है ? जवाब आसान है कीलों को दीवार पर लगाया जाता है। परन्तु कीलों को भी क्या कलात्मक रूप में प्रयोग करके असाधारण कलाकृति बनाई जा सकती है तो इसका “हां” में उत्तर देते है मध्यप्रदेश में जन्मे 40 वर्षीय जनाब मोहम्मद वाजिद अली खान (Wajid Ali Khan) साहब।

यह एक ऐसा नाम है जो आज पूरी दुनिया में नेल आर्ट (कीलों से बनी कलाकृति) के क्षेत्र में सिरमौर बनकर उभरा है। मात्र 14 वर्ष की उम्र में कपड़ा प्रेस करने की विश्व की सबसे छोटी इस्त्री बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले इस प्रतिभाशाली कलाकार ने नन्ही सी उम्र से ही जो कलाकृतियां बनाना शुरू किया उसे देखकर लोगों के होश उड़ गए। वैसे आपने लोहे की कीलों के प्रयोग से एक से बढ़कर एक नायाब कृतियां बनाईं हैं, लेकिन इसके अलावा भी अनेक कलाकृतियों को आने गढ़ा है जैसे भ्रूण हत्या के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए मेडिकल उपकरणों से बनी एक बच्चे की अनुपम कलाकारी, मशीनों के इंजनों द्वारा घोड़े की बेमिसाल कलाकृति, लौहनिर्मित लौह-पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की कलाकृति सहित अन्य तमाम कृतियां। 32000 कीलों के द्वारा शांति का संदेश देती एक अनुपम कृति भी आपने संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए बनाई है जिसकी खूब सराहना की गई है।

बमुश्किल कक्षा 5 तक पढ़ पाए वाजिद साहब का बचपन अत्यधिक गरीबी में गुजरा। आर्थिक दिक्कतें होने के कारण आपको घर छोड़ना पड़ा, सड़कों के किनारे पुराने कपड़े तक बेचने पड़े लेकिन खुदा के इस बंदे ने हार नहीं मानी। एक प्रोफेसर साहब द्वारा कला के क्षेत्र में काम करने की सलाह पर आप चकाचौंध की नगरी मुंबई भी गए लेकिन वहां जाकर भी कोई खास रास्ता नहीं दिखा, हां वहां जाकर यह जरूर तय किया कि वह कला के क्षेत्र में काम करेंगे परंतु घिसे- पिटे रास्ते पर नहीं चलेंगे। फिर आपने शुरुआत की लोहे की कीलों से एक से बढ़कर एक बेमिसाल कलाकृतियों की रचना करने की। आपके द्वारा बनाई गई कृतियों को जो देखता है हतप्रभ रह जाता है। जो वाजिद खान कभी सड़कों पर गरीबी से परेशान होकर कपड़े बेचते थे अब उनकी बनाई गई कलाकृतियां लाखों में बिकने लगी हैं। खूब धन अर्जन करने वाले वाजिद भाई पैसों से संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि वे तो कुछ खास करना चाहते थे। इसी सिलसिले में उन्होंने कुछ खास बच्चों को तराशना, प्रशिक्षित करना शुरू किया एवं साथ ही विश्व के उन प्रसिद्ध लोगों पर भी काम करना प्रारंभ किया जिनका दुनिया में काफी योगदान रहा है। इस कड़ी में आपने सबसे पहला काम शुरू किया महात्मा गांधी पर, पूरे 3 वर्ष की कठोर तपस्या के उपरांत गांधीजी की बेजोड़ कृति तैयार हुई जिसे देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए। एक लाख से अधिक कीलों से बनी गांधी जी की प्रतिकृति गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) (GBWR) में सर्वाधिक कीलों से निर्मित कलाकृति के रूप में दर्ज हुई। इसके बाद वाजिद साहब ने मदर मैरी, ईसा मसीह, काबा शरीफ, साईं बाबा ,धीरूभाई अंबानी आदि के नेल आर्ट भी बनाए। आगे चलकर आपने विश्व की अन्य तमाम नामचीन शख्सियतों पर भी काम करना प्रारंभ किया। कुछ नया करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी जनाब वाजिद खान साहब ने नेल आर्ट के साथ अन्य तरह के कलात्मक एवं नवाचार के क्षेत्र में काम करना प्रारंभ किया। फिलहाल आपने ऑटोमोबाइल आर्ट पर कार्य करने की शुरुआत की है। बीएमडब्ल्यू , मर्सिडीज कारों से लाजवाब ऑटोमोबाइल आर्ट आने लगे हैं। बंदूक की गोलियों से अहिंसा के पुजारी गांधी जी की फोटो भी आपने बनाई है।

अब विश्व के अनेक बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने हेतु वाजिद साहब को आमंत्रित किया जाता है जिस हेतु आपको काफी धनराशि प्रदान की जाती है। वर्ष 2022 में आयोजित होने वाले फीफा वर्ल्ड कप के दौरान आपके आर्ट का कमाल दुनिया देखेगी, प्लास्टिक के पाइपों के सहारे 10000 वर्ग फीट में आपके द्वारा 5 वर्ष में पूर्ण होने वाली कलाकृति पर काम जारी है। अभी तक आपके लगभग 200 आविष्कार एवं अनेक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। विश्व के अधिकांश देश मोहम्मद वाजिद अली खान साहब की असाधारण प्रतिभा की कद्र करते है तथा अनेकों देशों में जाकर आप कार्यशाला आयोजित कर कला को एक नया रचनात्मक एवं सृजनात्मक रूप देने में लगे हुए है।