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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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कच्चे आम का स्वभाव खट्टा है, गुड़ का स्वभाव मीठा है, मिर्च का स्वभाव तीखा है, नमक की प्रकृति लवणता है, फिर भी अचार ने कितना अच्छा एडजस्टमेंट कर लिया है और सभी को अच्छा लगता है। उसी प्रकार जिंदगी में सबके साथ एवं सभी के स्वभाव के साथ एडजस्टमेंट करना सीख लें तो सबको कितने अच्छे लगेंगे और जीवन मधुर हो सकता है l
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आप जिंदगी बिताने नहीं आए, जीवन जीने के लिए आए हैं। नफरत करके किसी की अहमियत बढ़ाने से ज्यादा अच्छा है उसे माफ कर दो। हर कोई चंदन तो नही कि जीवन सुगन्धित कर सके, कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं जो सुगन्धित तो नही करते पर काम बहुत आते है।
“ज्ञानी होने से शब्द समझ में आने लगते हैं और अनुभवी होने से अर्थ”