चक्रासन योग का एक कठिन आसन माना जाता है, अतः यदि चक्रासन मुद्रा में योग करना हो तो यह सामान्य व्यक्ति के लिए सरल नहीं होता है एवं यदि बात चक्रासन मुद्रा में दौड़ लगाने की की जाए तो अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। इस पर भी जब यह पता चलता है कि इस कठिन कारनामे को करने वाली एक 10 वर्ष की बालिका है, तो सुनने वालों के होश उड़ जाते हैं। इस अद्भुत कारनामे को कर दिखाया है कर्नाटक प्रांत के उडुपी – उदयवार की रहने वाली कुमारी तनुश्री पिथरोड़ी (Tanushree Pithrodi) ने।

वर्ष 2020 के शुरुवात में 100 मीटर चक्रासन दौड़ को मात्र 1 मिनट 14 सेकंड में पूर्ण करके इस बालिका ने सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया तथा 10 वर्ष 11 माह 7 दिन की आयु में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) (GBWR) में अपना नाम दर्ज करा कर सभी को चकाचौंध कर दिया। वर्ष 2017 में भी इस नन्हीं परी ने 1 मिनिट में 19 बार अत्यंत ही कठिन चक्रासन योगाभ्यास का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया था, इस प्रकार कुल मिलाकर इस बालिका के नाम तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। विशिष्ट प्रतिभा की स्वामिनी तनुश्री ने यह कारनामा का काफी कठिन तपस्या के बाद कर दिखाया है। जिस उम्र में लड़कियां गुड़िया-गुडडे के खेल में मशगूल रहती हैं, उस आयु में यह बच्ची योग की दुर्लभ एवं कठिनतम क्रियाओं का अभ्यास करती है।

तनुश्री बमुश्किल ढाई साल की ही रही होगी जब उसने चक्रासन योग का अभ्यास प्रारंभ कर दिया था तथा धीरे-धीरे उसमें प्रवीण होने लगी। योग की विभिन्न विधाओं को सीखने के साथ-साथ 3 वर्ष की उम्र में उडुपी के मास्टर डांस ग्रुप में तनुश्री डांस की भी शिक्षा लेना शुरु कर दिया। डांस और योग के बेजोड़ संगम के चलते कम ही समय में या यूं कहें, शैशवावस्था से ही आसपास के इलाकों में तेजी से तनुश्री की ख्याति फैलने लगी और कुछ ही समय में बड़े-बड़े कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने लगी। तनुश्री के पिता श्री उदय कुमार एवं माता श्रीमती संध्या जी ने बचपन से ही बेटी के गुणों को पहचानकर न केवल बेहतर परवरिश दी, वरन इसे आगे बढ़ाने में जी-जान से लगे रहे। उसका प्रतिफल यह हुआ कि चक्रासन दौड़ का जो वर्ल्ड रिकॉर्ड 6 मिनट 2 सेकेंड समय में दर्ज था, तनुश्री ने उसे चौथाई समय में ही पूर्ण करके गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करा लिया। आज तनुश्री की ख्याति गोल्डन गर्ल के रूप में, प्रदेश और देश की सीमाओं को पार करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुकी है। मंचीय कार्यक्रमों में तनुश्री दूर-दूर तक जाने लगी हैं। तनुश्री अभी तक कई सौ कार्यक्रम दे चुकी हैं, इसके साथ ही टेलीविजन चैनलों द्वारा भी आपकी अनेंको प्रस्तुतियां प्रसारित की जा चुकी है। अल्पायु से ही अपने नाम तनुश्री के शाब्दिक अर्थ “सुडौल, सुकोमल, छरहरी कायावाली स्त्री” को चरितार्थ करते हुए गुणों से परिपूर्ण एक नायाब हीरे की तरह अपनी साधना से न केवल अपने माता-पिता का नाम वरन अपने शहर, राज्य एवं देश के ख्याति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आभायमान कर रही हैं। इसके साथ तनुश्री यह भी सिद्ध कर रही है कि बालिकाएं किसी क्षेत्र में कमतर नहीं होती है। बड़ी से बड़ी मंजिल छूने की हकदार वह भी हैं, अखंड साधना करने में जज्बा उनमें भी होता है तथा माता-पिता की आन, बान, शान बेटे ही नहीं बेटियां भी होती हैं।