पहलवानी का प्रारंभ संभवत उस समय हुआ जब मनुष्य युद्ध के दौरान शस्त्रों का प्रयोग नहीं करता था । शारीरिक बल की ही प्रधानता रही होगी तथा विजय प्राप्त करने हेतु विभिन्न दांव- पेंच सीखे गए होंगे ।वैसे तो पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है, खास अवसरों पर शासक वर्ग मल्लयुद्ध का आयोजन करते थे एवं इसमें माहिर लोगों को सम्मानित करते थे। 3000 वर्ष पूर्व मिस्र की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में भी इस प्रकार के उल्लेख मिलते हैं। वर्तमान में पहलवानी प्रसिद्धी के साथ-साथ आर्थिक तौर पर भी आमदनी का बेहतरीन जरिया बन गया है। अनेक शख्सियत हैं जो पहलवानी के क्षेत्र में देश- विदेश में अपार ख्याति अर्जित कर रहे हैं।
हरियाणा प्रांत के रहने वाले भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त श्री लाखाराम जी तथा श्रीमती केशव देवी जी की गोद में जन्मे संजय सिंह (Sanjay Singh) पहलवान जी बचपन से ही शरीर शौष्ठव पर ध्यान देने लगे थे तथा 8 साल की उम्र होते -होते पहलवानी सीखने लगे। पिताजी भी पूर्व में पहलवानी कर चुके थे इसलिए आपका लगाव बढ़ता ही गया तथा पूज्य गुरुदेव परम श्रद्धेय श्रीयुत गोपाल मणि महाराज जी का चित्र बनाकर ,उन्हीं को आराध्य मानकर, उनका पूजन कर, एकलव्य की तरह पहलवानी का अभ्यास करने लगे। आपका पूरा दिन गौ माता की सेवा करना तथा अभ्यास करने में ही बीतता है। आपकी मुख्य खासियत यह है कि आप मात्र शाकाहार भोजन ग्रहण करते हैं, उसमें भी मुख्यतः गोमूत्र , गोमाता का दूध ,खीर आदि का नियमित सेवन करते हैं। पांचवीं क्लास तक ही पढ़ाई करने वाले श्री संजय सिंह पहलवान जी अभ्यास करते -करते इस तरह प्रसिद्ध होते चले गए की एक -एक कर अनेक अवार्ड आपकी झोली में आने लगे।
वर्ष 2008 में आपने राजस्थान बाल केसरी का खिताब जीता, वर्ष 2009 में पुनः अपने राजस्थान बाल केसरी , वर्ष 2010 में आपने उत्तर प्रदेश बाल केसरी, वर्ष 2011 में बृज केसरी , वर्ष 2012 में एक बार फिर से बृज केसरी , वर्ष 2013 में मथुरा मंडल केसरी, वर्ष 2014 में जयपुर केसरी , वर्ष 2015 में ग्रामीण मंडल खेल योजना केसरी, वर्ष 2016 में नेचुरल पहलवान राजस्थान तथा वर्ष 2017 में नेचुरल बॉडीबिल्डिंग अवार्ड राजस्थान के खिताब से आप नवाजे गए।
आपकी ख्याति तेजी से बढ़ती गई और आपने प्रसिद्ध संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book Of World Record) में अपना विश्व रिकॉर्ड (World Record) दर्ज कराने का फैसला किया ,इसके लिए संस्था के कार्यालय से संपर्क कर समस्त आवश्यक तैयारियां प्रारंभ कर दी। आपने एक- एक कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना शुरू किया। सर्वप्रथम 1 घंटे में 4295 पुशअप करके वैश्विक कीर्तिमान बनाया। आगे चलकर 2 घंटे 50 मिनट में 10000 पुशअप करके दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 1 घंटे बिना रुके तेजी के साथ 1202 लीप-स्टैण्ड पुशअप करके फिर से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। एक बार फिर आपने 1 घंटे 16 मिनट में बिना रुके 1500 लीप-स्टैण्ड पुशअप करके अगला वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 6 घंटे बिना रुके 15823 पुशअप करके फिर से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया एवं 1 घंटे में 2935 पुशअप करके छठवां वर्ल्ड रिकॉर्ड आपके द्वारा बनाया गया। आपकी गहन तपस्या का गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book Of World Records) के नेशन हेड (Nation Head) श्री आलोक कुमार जी द्वारा उपस्थित रहकर स्वयं परीक्षण किया गया, तदुपरांत वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (GBWR) में आपका नाम दर्ज किया गया। इस प्रकार आपने अपनी असाधारण साधना से संपूर्ण हरियाणा प्रांत का नाम रोशन किया है तथा आगे चलकर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अन्य अनेक उपलब्धियां हासिल करने के पथ पर अग्रसर है।