वैश्विक स्तर पर महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment), नारी उत्थान (Women devlopment), स्त्री विमर्श आदि के दौर में क्या अभी भी इनके प्रगति के रास्ते उतने ही सहज हैं जितने का दिखावा विभिन्न मंचों पर, बड़ी-बड़ी विचार गोष्ठियों में, सेमिनार-सम्मेलनों आदि में देखने-सुनने को मिलता है। आधी आबादी का हिस्सा, एक तिहाई की हकदार विविध शब्द जालों से अलंकृत होने का सुनहला योगदान पाने वाली हमारी माताएँ, बहने, बेटियां क्या अभी भी अपने हक-हुकूक के खातिर बड़ा बलिदान अथवा गुपचुप आत्मोत्सर्ग तो नहीं कर रही हैं ? ढेर सारी बातें आई और गई लेकिन कमोबेश परिस्थितियां क्या स्पष्ट तौर पर अलग दिखती हैं? हाँ अंतर है तो इनकी मनोवृति एवं तदजनित हिम्मत तथा सफलता के दायरे के प्रसार का। इसमें सर्वाधिक योगदान यदि किसी का दिखता है तो वह है शिक्षा का जिसके चलते आज यह स्वयं अपनी भाग्य निर्माता बन खुद को तो बदल ही रही हैं साथ ही मानवीय सोच की उलांघने वाली सीमा को लांघ कर समाज को परिवर्तन स्वीकार करने के लिए तैयार कर रही हैं।

यह भी कहना शायद अनुपयुक्त नहीं होगा कि यहां भी हमारी मातृ सत्ता अपनी चिर-परिचित रचनात्मकता के दायित्व को ही निभा रही हैं। आज नारी प्रत्येक क्षेत्र में अपनी धवल पवित्र पक्ष को मजबूती के साथ प्रदर्शित करती नजर आ रही है। सफलता की नूतन ऊंचाइयां छूते हुए नए-नए मानदंड स्थापित करती हमारी जन्म दायिनी बुलंदियों की तरफ तेजी से अग्रसर है। लेकिन यत्र-तत्र ही सही अभी भी इनके साथ, इनकी सफलता के साथ हमारा और समाज का नकारात्मक पहलू दिखता रहता है और सोचने वालों की चिंता का सबब बनता रहता है।

छत्तीसगढ़ प्रांत के डोंगरगढ़ (Dongargarh, Chattisgarh) निवासी पेशे से भारतीय रेलवे में लोको पायलट (Loco pilot) के पद पर सेवारत स्वर्गीय चंद्र कुमार भिवगड़े जी की जीवन संगिनी श्रीमती शालिनी भिवगड़े जी की गोद में 24 अक्टूबर 1985 को जन्मी आदरणीया वर्षा गलपांडे जी (Ms. Varsha Galpande) नाम की एक ऐसी विदुषी, साहसी, परिवर्तन गामिनी, “एकला चलो रे” जैसे शब्द की सच्ची अनुदामिनी, नायाब हीरे जैसे चमकने वाली, अद्भुत संघर्षशील युवती ने अपनी अहरनिश कर्मनिष्ठा, निष्णांत साहित्य साधना से समाज के नागफनी रुपी मकड़जाल से सीधे टकराकर उसके कंटकों को अपना हमसफर बना उसके चुभने वाले गुण को निस्तेज कर अपने मार्ग को रुकने नहीं दिया अपितु मंजिल को प्राप्त करने के लिए हर बाधा से पराजित होना अस्वीकार कर दिया और अंतत दुनिया के समक्ष एक जीवंत प्रेरणा पुंज, प्रकाश स्तंभ की तरह सभी को गौरवान्वित कर रही हैं।

एक समय था जब वर्षा गलपांडे जी 12वीं कक्षा की छात्रा थी तथा परीक्षा में मात्र 3 महीने ही शेष रह गए थे लेकिन आप अचानक इस तरह बीमार हो गई कि उस वर्ष की परीक्षा न दे सकी व इस तरह उनका ये वर्ष ख़राब हो गया और वो ज़्यादा बीमार रहने लगी। लग रहा था जीवन में घुप्प अंधेरा हो गया है, निजता की सूनी गुफाओं में ही दम घुट जाएगा लेकिन उसी समय परम श्रद्धेय राजेश चंद्रवंशी जी एक मित्र, गुरु एवं संबल दाई व्यक्तित्व के रूप में मिले जिन्होंने बीच मझधार में हिचकोले खा रही जीवन रूपी नैया को न केवल डूबने से बचाया अपितु अपने मार्गदर्शन से एक बार फिर से पुनर्जीवित करते हुए अनंत आकाश को चूमने की ताकत प्राप्त करने में निःस्वार्थ मदद की। इसीलिए आप इन्हें अपने गुरु के स्थान पर रखती है। इसके बाद वर्षा गलपांडे जी ने फिर मुड़ कर पीछे कभी नहीं देखा। आपने श्री राजेश चंद्रवंशी जी के दिशा -निर्देशन में कुशाभाऊ ठाकरे जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन विश्वविद्यालय (Kushabhau Thakre Journalism And Mass Communication University) से संबद्ध रायपुर स्थित अग्रसेन कॉलेज से पत्रकारिता की पढ़ाई की और ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल की। धीरे-धीरे आप पत्रकारिता एवं लेखन के क्षेत्र में डूबती चली गई तथा कम उम्र में ही आपकी गणना एक विदुषी के रूप में की जाने लगी। हां आपके जीवन में पग-पग पर माता जी एवं माँ के समान बड़ी बहन श्रीमती श्वेता भिवगडे जी तथा विवाह उपरांत पतिदेव श्री सुकेश गलपांडे जी का संबल सतत मिलता रहा।

वर्षा गलपांडे जी एक लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में प्रसिद्ध हो गई साथ ही रेडियो जॉकी, कवयित्री, लेखिका, एंकर तथा सामाजिक कार्यों में समर्पित शख्सियत के रूप में भी जाना पहचाना नाम हो गईं। आपने विविध विषयों की अनेक मानक पुस्तकों की रचना भी की है लेकिन “एन्सिएंट ऑर्नामैंट आफ छत्तीसगढ़” (Ancient ornaments of Chhattisgarh) आपकी बेमिसाल पुस्तक है, इसमें छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषणों जो अब आधुनिकता की अंधी दौड़ में लुप्त होते जा रहे हैं पर विशिष्ट जानकारी है। इसके अतिरिक्त आकृति मेरे ख्यालों की, मेरे विचारों की गलियां, कल्पनाओं की उड़ान, मेरे जीवन का इंद्रधनुष आपकी प्रमुख रचनाएं हैं। अमेरिका में प्रकाशित आपकी पुस्तक “न्यू रे” (New Ray) को पाठक समुदाय में अत्यंत सराहना मिली है। कहते हैं लेखक एवं साहित्यकार का मन बहुत कोमल एवं संवेदनशील होता है। आप पर भी यह बात सौ फ़ीसदी लागू होती है। कोरोना की वैश्विक आपदा के समय महानगरों से अपने मूल स्थानों को वापस हो रहे लोगों की आपने भरपूर मदद करने का प्रयास किया है। यह कार्य आप द्वारा स्थापित “मानव चैन फाउंडेशन” (Manav Chain Foundation) के माध्यम से किया गया है। देश के 8 राज्यों में मानव चैन फाउंडेशन के सदस्यों ने आपस में तारतम्य बिठाते हुए लोगों की हर संभव मदद की। आपके इस कार्य की भूरि- भूरि प्रशंसा की गई है तथा आपकी साधना को देखते हुए अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान एन.जी.ओ. अवार्ड ( NGO Award) से आपको विभूषित किया गया है।

कोरोना (Corona) की विभीषिका से द्रवित होते हुए अपने मन के भावों को आपने काव्य के रूप में अपनी लेखनी में उकेरते हुए रचनाएं की जो आपको वैश्विक कीर्तिमान दिलाने में सफल हुई। “कोरोना की अनकही दास्तां” (Corona ki Ankahi Dastan) नामक आपकी पुस्तक जिसमें 660 कविताएं हैं यह इस महामारी पर विश्व की प्रथम पुस्तक है। आपने इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड (World record) में दर्ज कराने हेतु गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में आवेदन किया। पुस्तक की विशिष्टता का मूल्यांकन करते हुए 11 अगस्त 2020 को इसे “फर्स्ट पॉयेट्री बुक आन ए पैंडेमिक” (First Poetry Book on A Pandemic) नामक टाईटल से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज कर लिया गया।

आपकी नजर समाज के उन कोणों पर भी रहती है अमूमन जिन पर सामान्य जन का ध्यान कम ही जाता है। प्रज्ञा राशि की प्रचुरता एवं शक्ति सामर्थ्य युक्त होते हुए भी एक किन्नर के लिए ऐसी दुर्गम रेखा खींच दी गई है जिसे पार करना किन्नरों के लिए अनैतिक माना गया है। जिस राम राज की अभी हम कल्पना ही करते हैं उस रामराज में गोस्वामी तुलसीदास जी अन्य की तरह किन्नरों (Transgender) के प्रति भी सम्मानजनक समभाव रखते थे। हमारी नियत में खोट के चलते समतामूलक समाज की स्थापना विषयक स्वप्निल दुनिया का संघर्ष आज भी जारी है जिनमें निर्दोष किन्नर समाज अनायास ही पिस रहे हैं। वर्षा गलपांडे जी अपनी लेखनी के माध्यम से किन्नर समाज पर अत्यधिक कार्य कर रही हैं तथा आपका सपना है कि किन्नर समाज (Transgender community) को मुख्यधारा में लाने में अपना श्रेष्ठतम समर्पण करते करते हुए सफलता प्राप्त की जा सके।