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"वाणी" और "पानी" दोनों में ही "छवि" नज़र आती है "पानी" स्वच्छ हो तो "चित्र" नज़र आता है "वाणी" मधुर हो तो "चरित्र" नज़र आता है।
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कोई भी इंसान हमारा दोस्त या दुश्मन बनकर इस दुनिया में नही आता हमारा व्यवहार और बोलने का तरीका ही लोगो को दोस्त और दुश्मन बनाते हैं।
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किसी को चोट पहुँचाना उतना ही आसान है जैसे पेड़ से पत्ता तोड़ना, लेकिन किसी को खुश करना एक पेड़ उगाने जैसा है। इसमें बहुत समय, देखभाल और धैर्य लगता है।
उत्तम से सर्वोत्तम वहीं हुआ है जिसने आलोचनाओं को सुना है और सहा है।