इंसान के जीवन में सच्ची सरलता, बातों से नहीं आती, बनावट से नहीं आती, पैसे से नहीं मिलती, विरासत में भी नहीं मिलती। इसे पाने के लिए अपना अहंकार व दम्भ समाप्त करना होता है।
इंसान के जीवन में सच्ची सरलता, बातों से नहीं आती, बनावट से नहीं आती, पैसे से नहीं मिलती, विरासत में भी नहीं मिलती। इसे पाने के लिए अपना अहंकार व दम्भ समाप्त करना होता है।

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चाह कर भी अपने प्रति लोगो की धारणा नहीं बदल सकते। इसलिए शांति से अपना जीवन जिये औऱ मस्त रहे प्रसन्न रहे।
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शिक्षा" हमें अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर तक ले गयी। टैक्नोलॉजी हमें हस्ताक्षर से फिर अंगूठे के निशान पर ले आई। इसलिये सब फैसले हमारे नहीं होते, कुछ फैसले वक्त के भी होते हैं।
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ। जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे, चाहे वो सामान हो या सम्मान।