वर्तमान दौर में निजता की परिधि इतनी संकुचित हो गई है कि उसकी सूनी गुफाओं में मानवता का दम घुटता नजर आता है। समाज के प्रत्येक क्षेत्र में सेवारत व्यक्ति अपने एवं अपनों के मोह से ही नहीं उबर पा रहे हैं ऐसी हालात में सबसे निचले पायदान पर खड़े, लड़खड़ा रहे व्यक्ति तथा दूसरों के दुख-दर्द के बारे में किसी के पास सोचने तक का समय नहीं रह गया है। सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन एक दिखावा भर होकर रह गया है। क्षेत्र कोई भी हो निराशा के बादल इस प्रकार मानवीय संवेदना को आच्छादित किए हैं कि नैतिकता से सराबोर इंसानियत की किरणों का धूमिल स्वरूप भी दिखना मुश्किल हो जाता है।

बावजूद इन सबके ईश्वर प्रत्येक काल की तरह आज भी अपने प्रतिनिधि के रूप में कुछ नेक बन्दों को भेजता रहता है। बिहार प्रांत के बक्सर जिले के इटाढी थाना अंतर्गत एक छोटे से गाँव जमुआ में पेशे से शिक्षक रहे स्वर्गीय बाबू रामनरेश सिंह जी की धर्मनिष्ठ जीवन संगिनी पूजनीया श्रीमती बुचिया देवी जी की गोद में 28 दिसंबर 1974 को जन्मे तथा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यातायात प्रभारी, सचिवालय एवं माननीय मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा प्रभारी (होमगार्ड) के पद पर सेवारत इंस्पेक्टर श्री विनोद कुमार सिंह जी (Mr. Binod Kumar Singh) मानवता की चूलों को अपने बलिष्ठ हाथों के स्नेहिल स्पर्श से थाम कर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं।

वर्ष 1993 में आपके छात्र जीवन के दौरान एक महिला द्वारा रेलगाड़ी के सामने अपनी जान देने के लिए उसे कूदता देखा, आपने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए छलांग लगाकर उसे बचाया, इस घटना ने आपके जीवन के उद्देश्य को ही बदल कर रख दिया। उसके पश्चात सेवा में आने के उपरांत आपके जीवन का यह मुख्य कार्य हो गया। आप ड्यूटी पर हैं या नहीं हैं लेकिन जैसे ही आप किसी के साथ कोई अनहोनी या दुर्घटना घटते देखते हैं जी-जान से उसकी मदद करते हैं। नदी में आत्महत्या करने का मंसूबा पाले कूदने वाले न जाने कितनों को यह देवदूत अभी तक बचा चुके हैं। सड़क पर चलते समय दुर्घटना हो जाने के कारण तड़प रहे लावारिस व्यक्तियों की सेवा करना हो, अस्पताल ले जाना हो आदि, आप एक परिजन की तरह सबकी सेवा करते हैं और इसमें आपको काफी सुकून मिलता है। अभी तक आपके द्वारा सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा चुकी है। विनोद जी द्वारा इंसानियत के प्रति की जा रही इस बेमिसाल सेवा के लिए दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मानो से नवाजा जा चुका है तथा विभाग में आपको एक शान के रूप में देखा जाता है।

श्री विनोद कुमार सिंह जी उत्कृष्ट लेखक भी हैं। आप लोक भावनाओं से सराबोर लोकगीत भी लिखते हैं। वैसे तो छात्र जीवन से ही आपके लिखे गए लेख एवं गीत आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं तथापि आपने “कनवा के बाली” नामक लोकगीत लिखा तथा इसे स्वर आपकी जीवनसंगिनी विख्यात लोक गायिका श्रीमती संजू सिंह जी (Smt. Sanju Singh) जी ने दिया। वर्ष 2007 में जब यह एल्बम आया तो खूब सराहा गया। इस प्रकार आपके द्वारा अनेक लाजवाब गीतों का लेखन किया गया है तथा श्रीमती संजू सिंह द्वारा लयबद्ध आपके गीतों के अनेक एल्बम निकल चुके हैं। कोविड 19 के संकट के दौरान अमेरिका द्वारा भारत से धमकी भरे अंदाज में दवा मँगाना जब आपको नागवार गुजरा तो अपने मन की पीड़ा आपने “कोरोना न जाने अब का का कराई, अमेरिका जैसा देश अब माँगे भारत से दवाई ” के रूप में गीत लिखा तो अत्यधिक सराहना हुई। आपके त्याग, संघर्ष एवं सदस्यता के प्रतिफल के रूप में प्रभु ने अत्यंत योग्य, विलक्षण प्रज्ञा राशि से युक्त सुपुत्री कुमारी स्नेहा के रूप में दिया है जो कैंब्रिज इंटरनेशनल (Cambridge International) की 11वीं की छात्रा है एवं अंतरराष्ट्रीय फलक पर बेंच मार्क परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त कर अपने मेधा की खुशबू से घर परिवार के साथ पूरे लखनऊ को महका रही हैं।

संस्कृति एवं कला के क्षेत्र में अहर्निश योगदान देने की चाहत रखने वाले श्रीयुत विनोद कुमार सिंह जी भोजपुरी कला को अश्लीलता मुक्त करना चाहते हैं। इस दिशा में आप द्वारा फिल्म बनाने की भी योजना है यद्यपि आप द्वारा पूर्व में भी “थेथर चला देश सुधारने” नामक फिल्म का निर्माण किया जा चुका है। इसकी खूब प्रशंसा हुई थी इस फिल्म में समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों पर कुठाराघात किया गया है।