असम और छत्तीसगढ़ के खतरनाक जंगली इलाके हो राजस्थान में मीलों पसरा रेगिस्तान अथवा जम्मू और कश्मीर का आतंक प्रभावित क्षेत्र साइकिल पर सवार अपनी अलमस्त चाल से एक 50 साल का नवयुवक आपको मिल जाएगा बात हम उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के निवासी साइकिल गुरु नाम से विश्वविख्यात आदित्य कुमार (Aditya Kumar) की कर रहे ।झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले ,भीख मांगने वाले, अनेक खतरनाक नशे के शिकार से ग्रस्त लोगों के बच्चों को शिक्षा रूपी हथियार से लैस कर उन्हें बेहतर जीवन जीने लायक बनाने की भावना से ओतप्रोत आदित्य कुमार वर्ष 1995 से अपने इस रास्ते पर निकल पड़े, अपना सब कुछ घर बार छोड़कर। जेब में न फूटी कौड़ी, रहने का कोई ठिकाना नहीं, खुद के निवाले के लिए कोई भरोसा नहीं फिर भी आपकी गाड़ी चल पड़ी। एक साइकिल ही आप की संपूर्ण संपत्ति, वह भी इसलिए कि उसी के सहारे घूम घूम कर अपनी मंजिल प्राप्त करना है। अपनी इसी अलख को आगे बढ़ाते हुए आपने वर्ष 2015 की जनवरी 12 से भारत को साक्षर करने की यात्रा पर निकल पड़े। अपनी साइकिल लेकर प्रतिदिन लगभग 100 किलोमीटर की यात्रा करते, रास्ते में घूम घूम कर बच्चों को पढ़ाते, सड़क पर, झुग्गी झोपड़ियों में इस महायज्ञ में बीमार पड़ते, खाने के लाले पड़ते, कपड़े चिथड़े हो जाते,पैर की चप्पल टूट फूट जाती फिर भी यात्रा रुक नहीं सकती। पैसे का बंदोबस्त करने के लिए, भूख मिटाने के लिए जब तक मजदूरी कर लेते, फिर चल पड़ते अपने अभियान पर ।प्रारंभ में लोग मात्र कौतूहल भरी नजरों से देखते लेकिन धीरे-धीरे लोगों के मन पर आप का असर पड़ना शुरू हुआ। धीरे-धीरे आपकी तपस्या को लोग समझने लगे। उच्च स्तर तक भी आपकी महायज्ञ पहुंचने लगी और वह दिन भी आने लगा जब आपके कार्यों को सम्मानित किया जाने लगा ।एक तरफ आप देश के कोने कोने में घूम घूम कर शिक्षा की महायज्ञ प्रारंभ किए तो दूसरी तरफ आपको प्रशंसा भरी नजरों से आपको एक सच्चे गुरु के रूप में देखा जाने लगा और भांति भांति के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाने लगा। विश्व विख्यात गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में भी आपकी गहन तपस्या दर्ज हुई ।इस तरह लगभग 22 राज्यों में भ्रमण करने वाले श्री आदित्य जी के नाम 25 वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। जीवन की छोटी-छोटी खुशियों से मरहूम आदित्य कुमार जी की अलख से जो बच्चे कभी सड़क पर रहते थे, झुग्गी झोपड़ी में रहते थे, भीख मांगते थे ,आज सफलता अर्जित कर के अनेक युवा उच्च पदस्थ हैं और आपके संघर्ष की सार्थकता को स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा रहे हैं। गणित विषय से पढ़ें आदित्य जी को वर्ष 2018 में लोकसभा में विशेष रूप से आमंत्रित कर सम्मानित किया जा चुका है। अशिक्षा को भारतीय वसुंधरा से मिटाने का संकल्प लेकर एक महात्मा आज एकला चलो की राह पर चलता जा रहा है ।