बयासी साल की उम्र में जोश एवं पूरी सक्रियता के साथ यदि आपको स्कूल अथवा कालेजों में मेधावी छात्रों को उत्कृष्ट कार्य करने पर मैडल पहनते हुए कोई व्यक्ति मिल जाएं तो समझिए कि वो श्री किशोर तारे जी (Mr. Kishor Tare) है। किसी स्कूल या कॉलेज के वार्षिकोत्सव पर यह दृश्य दिखाई देना कोई अजूबा नही है, किंतु किसी एक व्यक्ति द्वारा अपने दम पर यह काम किया जाना वाकई अजूबा है। रायपुर निवासी श्री किशोर तारे जी पिछले बीस वर्षों से लगातार स्कूल एवं कालेजों में घूम-घूम कर समस्त मेधावी छात्रों को ढूंढ-ढूंढ कर उन्हें अपने खर्चे पर गोल्ड मेडल पहनकर सम्मानित करते हुए उन्हें और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित करते है। अपने नाम किशोर को चरितार्थ करते हुए आज भी दिल से अपने आप को किशोर बनाए हुए श्री किशोर तारे जी 26 मई 2020 तक सौ या पांच सौ नहीं बल्कि 7620 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल पहना कर सम्मानित कर चुके है। सर्वाधिक बच्चों को गोल्ड मेडल पहनने का आपका यह कार्य गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में भी दर्ज हो चुका है।

प्रसिद्ध स्टील प्लांट राउरकेला में कार्य कर चुके आदरणीय किशोर तारे जी एक अद्धभुत कहानीकार भी हैं। शुरुआती दौर में जब आपकी रचनाएं अखबारों द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही थीं तो तत्कालीन मध्यप्रदेश के एक अखबार ने लगातार सौ दिन तक, प्रतिदिन एक कहानी लिखने की शर्त पर रचनाओं को प्रकाशित किये जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे आपने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। आपके द्वारा जब यह कार्य बखूबी किया जाने लगा तो इसे देख कर अन्य अखबार अचंभित हो गए। तत्पश्चात अन्य लोगों ने भी आपको लिखने हेतु कहा और आपने उनके लिए भी लिखने को नही इनकारा। कुछ समयोपरांत एक अखबार ने अनवरत दो सौ दिनों तक प्रतिदिन दो कहानियों को लिखने की चुनौतीनुमा शर्त आपको पेश की, जिसे आपने अत्यंत विनम्र भाव से स्वीकार कर लिखना प्रारम्भ कर दिया। लेखन की इस नायाब साधना, इस नायाब कला को देखकर सभी चकित रह गए। स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि आपने एक ही दिन में दो अलग-अलग भाषाओं में लिखना प्रारम्भ कर दिया और वह भी लगातार बहुत दिनों तक। साहित्य जगत के इस प्रकांड विद्वान ने विभिन्न भाषाओं में मौलिक पुस्तकों की रचना की है। कोई भी लेखक सामान्यतः एक भाषा में ही लिखता है, कभी-कभी कुछ विशेष मेधावी लेखक दो भाषाओं का ज्ञान रखते हुए दो भाषाओं में लेखन कार्य कर लेते है, परन्तु श्री किशोर तारे जी ने अपने असाधारण भाषा ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए तीन भाषाओं में मौलिक कहानियों का लेखन कर इतिहास ही रच दिया। आपने हिंदी, अंग्रेज़ी तथा मराठी भाषा मे मौलिक पुस्तकों को लिखकर एक लेखक के रूप में “बुक्स ऑथोर्ड इन मोस्ट लेंग्वेज” शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में अपना नाम दर्ज कराया।

उम्र को सिर्फ एक नंबर मान कर जीने वाले श्री तारे जी सदा समाजसेवा करते हुए लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने रहते है, आप आज भी प्रतिदिन योग करते है, मॉर्निंग वॉक पर जाते है। समाजसेवा का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए ना सिर्फ नेत्र अपितु देहदान करने का संकल्प लेते हुए फॉर्म भी भर चुके है। अपने इन कार्यों के साथ साथ आप अभी भी साधनारत हैं एवं लगातार छह महीनों तक दो विभिन्न भाषाओं में कहानियों के लेखन एवं प्रकाशन का लक्ष्य लेकर “लॉन्गेस्ट कोटिडियन फेट ऑफ राइटिंग एंड पब्लिशिंग ए आर्टिकल इन टू लैंग्वेजेस इंसेसेंटली” शीर्षक के रिकॉर्ड की तैयारी करते हुए विश्व रिकॉर्ड की हैट्रिक बनाने को उद्यत है।