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किसी को चोट पहुँचाना उतना ही आसान है जैसे पेड़ से पत्ता तोड़ना, लेकिन किसी को खुश करना एक पेड़ उगाने जैसा है। इसमें बहुत समय, देखभाल और धैर्य लगता है।
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शब्दों का वजन तो बोलने वाले के भाव पर आधारित है। एक शब्द मन को दुःखी कर जाता है, और दूसरा शब्द मन को खुश कर जाता है, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है।
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फल और फूल, पेड़ पर पत्तों से कम होते हैं परन्तु फिर भी वो पेड़ उन्हीं के नाम से जाना जाता हैl उसी तरह, हमारे पास अच्छी बातें कितनी ही क्यूँ ना हों, पर पहचान तो सिर्फ अच्छे कर्मों से ही होती हैl
“अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं हैं, जितना की सीखने की इच्छा ना रखना।”