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“किसी के प्रति मन में क्रोध लिये रहने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे क्षणभर में जल जाना देर तक सुलगने से अधिक अच्छा है।”
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इंसान के जीवन में सच्ची सरलता, बातों से नहीं आती, बनावट से नहीं आती, पैसे से नहीं मिलती, विरासत में भी नहीं मिलती। इसे पाने के लिए अपना अहंकार व दम्भ समाप्त करना होता है।
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जिंदगी में रिश्तों का स्वाद हर रोज बदलता रहता है, कभी मीठा, कभी खारा, कभी तीखा, पर ये स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि हम प्रतिदिन अपने रिश्तों में क्या मिला रहे है।
यदि आप में दूसरों के लिए “प्रार्थना” और “सेवा” करने की आदत है। तो आपको स्वयं के लिए “प्रार्थना” करने की आवश्यकता नहीं होगी।