ममत्व के नायाब खजाने से प्रकृति ने मात्र माँ को ही नवाजा है। इस खजाने के अक्षय कोष का अमृत रूपी रसपान करने का सौभाग्य अनेक मनुष्यों को नहीं मिल पाता है। परमपिता परमेश्वर समय-समय पर धरती पर ऐसी देवियों को भेजते रहते है जो अनाथ और बेसहारा लोगों के लिए माँ के आंचल का सुख देने के लिए ईश्वर की प्रतिमूर्ति के रूप में उपस्थित रहती हैं।

एक ऐसी ही देवी के बारे में हम बात कर रहे है जो सुबह-सुबह उठकर बच्चों के लिए अभी नाश्ता ही तैयार कर रही थी, ताकि स्कूल जाने से पहले बच्चे नाश्ता कर लें, लेकिन तभी आपका फोन बजता है। उधर से आवाज आती है कि अमुक स्थान पर एक नवजात बालिका मिली है, वह बहुत रो रही है, आप जल्दी से आ जाइए नहीं तो ……….। अगले की आवाज अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि आपने यह कहते हुए फोन काटा, आप वहीं रुको मैं तुरंत निकल रही हूं। बच्चों से कहतीं है बेटा नाश्ता करके टिफिन रख लेना और यह कहते हुए, बिना देर किए बताए गए स्थान के लिए घर से निकल लेती हैं। वहां पहुंचकर नवजात को उठाकर पहले एक मां की तरह दुलार करते हुए उसकी सेवा-सुश्रुषा करती हैं, फिर अपने परिचित चिकित्सक के पास ले जाकर उसे दिखाती हैं कि नवजात बच्ची को तुरंत कोई दवा की आवश्यकता तो नहीं है?

विगत तीन दशकों से अयोध्या निवासिनी डॉक्टर रानी अवस्थी जी (Dr. Rani Avasthi) के जीवन का यही अनिवार्य हिस्सा बन है। आपके जीवन का एकमात्र उद्देश्य है अधिकाधिक लोगों का दुख हरना, फिर चाहे वह अनाथ बच्चे हों, मूक-बधिर हों, मानसिक रूप से कमजोर हों, अस्थि-विकलांग हों अथवा बुजुर्ग एवं घर से बेघर किए गए व्यक्ति। आपने इंसानियत के प्रति अपनी सेवा के दायरे को काफी विस्तृत कर दिया है। आपने अयोध्या में एक मूक-बधिर विद्यालय खोला है, जहाँ सैकड़ों मूक-बधिर बच्चों को शिक्षित कर उन्हें स्वावलंबी बनाकर समाज में एक मुकम्मल मुकाम प्राप्त करवा रही हैं।

इसके अतिरिक्त सैकड़ों लड़कियों के जीवन को आपने शिक्षित करके एवं विवाह कराके संवारा है। अबोध शिशु के लिए तो आप साक्षात जगत जननी बनकर सामने आईं हैं। समाज का कलंकित और वीभत्स रूप तब देखने को मिलता है जब कोई अपनी छोटी सी संतान को अनाथ, लावारिस, कूड़ेदान, खेतों में या सड़क पर फेंक देते हैं। ऐसे बच्चों को प्राप्त करने पर आप उनकी हर तरह से परवरिश का जिम्मा उठाती है। भ्रूण हत्या रोकने के लिए आपके द्वारा किए जा रहे कार्यों हेतु देश से लेकर विदेशों तक में आपकी सेवाओं की गाथा गाई जाती है। दुर्भाग्य से आपके इस कार्य में शासन-प्रशासन, समाज के उच्च तबके के लोग, उद्योगपति, राजनेताओं आदि द्वारा उस स्तर का सहयोग नहीं मिल पाता है जिसकी दरकार होती हैं। फिर भी आप इन सब का बिना कोई दुखड़ा रोए हजारों बच्चों, महिलाओ, बुजुर्ग व्यक्ति जिन्हें मदद की जरूरत है उनके लिए हर संभव मदद करने के अपने पथ पर अग्रसर रहतीं हैं।

इन सेवाओं के चलते आपको तमाम सम्मान, अवार्ड से नवाजा जाता रहता है। फैजाबाद प्रशासन द्वारा 1998 में आपको ‘बेस्ट लेडी सोशल वर्कर’ का खिताब दिया गया, उत्तर प्रदेश सरकार के दिव्यांग सचिव द्वारा आपको ‘बेस्ट सोशल वर्कर’ का अवार्ड दिया गया। अमेरिका की बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा आपको ‘बेस्ट वूमेन’ का अवॉर्ड दिया गया। जवाहरलाल नेहरू महिला बाल कल्याण समिति द्वारा आपको ‘विशिष्ट महिला समाज सेविका’ के अलंकरण से विभूषित किया गया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा 2002 में आपको ‘विशेष सेवा पुरस्कार’ दिया गया है वर्ष 2008 में साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा आपको ‘विशिष्ट महिला सम्मान’ प्रदान किया गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 2006 में आपको सम्मानित किया गया। पूर्वांचल के नोबेल पुरस्कार के रूप में प्रसिद्ध, प्रतिष्ठित ‘माटी रतन सम्मान’ से भी आपको अलंकृत किया गया है। इन सबके अलावा अन्य सैकड़ों प्रतिष्ठित सम्मानो से भी आपको नवाजा जा चुका है परंतु आप इन सभी पर ध्यान न देते हुए सेवा कार्य में ही लगी रहतीं हैं।