भारतीय सांस्कृतिक विरासत इतनी संपन्न रही है कि इसे कभी विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। एक तरफ धरती पर नाना प्रकार की विसंगतियां विकराल मुंह बाए खड़ी हैं तो दूसरी तरफ सामर्थ्यवानों द्वारा स्वहित की ही कुंडली में मुंह छिपाए रहने से संकट के बादल कम छट पाते हैं। वैश्विक मानस को जिस कथा ने सर्वाधिक प्रभावित किया है वह है श्री राम कथा। उन्हीं श्री राम की पावन भूमि अयोध्या जी की धरती पर प्रत्येक काल में मानवता को संबल देने वाले एवं उसे अपने हाथों के स्नेहिल स्पर्श से थामकर मानवता की घाटी में फिसलने से बचाने वालों का अवतरण होता रहा है। दुर्भाग्य से आज का समाज एक संक्रमण काल से गुजर रहा है। भौतिकता और स्वार्थपरता अपने चरम की तरफ अग्रसर दिखाई देती है इन सब के बावजूद आज हो कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जो कुरीतियों तथा विसंगतियों से लड़ने का जज्बा रखते हैं।

व्यवसायिक जगत से ताल्लुक रखने वाले उत्तरप्रदेश में फैजाबाद (Faizabad, Uttar Pradesh) के रहने वाले मशहूर व्यवसायी श्री सतराम दास तोलानी जी, पत्नी श्रीमती कलादेवी जी के संग रहते थे। आपके आंगन में एक-एक कर चार सुपुत्र एवं तीन कन्यारत्न पैदा हुए। साल 1956 में जनवरी महीने के 1 तारीख को आपके आंगन में सुपुत्र अनूप तोलानी जी (Mr. Anup Tolani) का जन्म हुआ। आपके इन सुपुत्र ने पढ़ाई के उपरांत यद्यपि कई कार्य किए लेकिन किसी भी कार्य में उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही थी। वर्ष 1982 में बहनोई जी के मार्गदर्शन में श्री अनूप तोलानी जी ने फैजाबाद शहर के रिकाबगंज इलाके में किराए का मकान लेकर “अनुराग स्वीट्स” (Anurag Sweets) नाम से मिष्ठान की दुकान खोली जो चल पड़ी, फिर आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आपके बहनोई जी ने ही परम पूज्य गुरुदेव जयराम दास (Guru Shri Jairamdas ji) से तथा आपके घनिष्ठ मित्र श्री संजय महेंद्रा जी के पिताजी ने अयोध्या जी स्थित पावन मंदिर “कनक भवन” के तत्कालीन पूज्य गुरुदेव श्री बलदेव प्रसाद चतुर्वेदी जी से मिलवाया जिनके आशीष से ही अब सफलता आपके कदम चूम रही थी।

ईश्वर की अनुकंपा से वर्ष 1985 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में आपने अपना कारोबार शुरू करने के उद्देश्य से एक दुकान खोली यहां भी आप पर गुरुजनों के स्नेह की बरसात होती रही और दिन दूनी रात चौगुनी गति से आप आगे बढ़ते गए। धीरे-धीरे आपकी गिनती लखनऊ की मानिंद शख्सियतों में की जाने लगी तथा शहर के प्रत्येक क्षेत्र के व्यक्ति, चाहे वो अभिनेता, राजनेता, अफसरान हो या समाजसेवी साहित्यकार अथवा पत्रकार सभी से आपकी घनिष्ठता हो गई।

मानवता के कल्याण हेतु समर्पित आपके मन में पूर्ण समर्पण के भाव बचपन से ही रहे क्योंकि एक तो बचपन से ही आप परिवार के बुजुर्गों को लोगों की मदद करते देखा करते थे, तो दूसरी तरफ आपकी जीवनसंगिनी एक लब्ध प्रतिष्ठित संत की सुपुत्री हैं। फलतः आपका मन अब मात्र धनार्जन से ही नहीं संतुष्ट हो रहा था। अब आप समाज के निर्बल और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने को उन्मुख हुए। इस कार्य में आपकी धर्मपत्नी ने बढ़-चढ़ कर साथ दिया। आप लोगों की विविध प्रकार से मदद करते रहते हैं बड़ी संख्या में गरीबों की दवा कराना हो, आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई में मदद करनी हो या निर्धन बच्चियों का विवाह कराना हो सभी में आप जबरदस्त प्रतिभाग करते रहते हैं। आपके सानिध्य से ही आज हजारों-हजार गमजदा लोगों के दिलों में खुशी के दीपक जल रहे हैं।

समय-समय पर विशाल संख्या में लंगर लगाकर लोगों को भोजन कराना, चाय नाश्ता कराना आपके जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। धर्म गुरुओं के जन्मदिन पर आप द्वारा बड़ी संख्या में गरीबों-मजलूमों को भोजन करवाते है। आपके नेतृत्व में एक साथ 2170 निर्धन कन्याओं का विवाह कराया जा चुका है जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है। सैकड़ों बच्चों की आप उनकी पढ़ाई-लिखाई आदि में मदद करते हैं। “इनोवेशन फॉर चेंज” (Innovation for Change) नामक एक संस्था से भी आप जुड़े हैं जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य किए जाते हैं। कोरोना (Corona Pandemic) की विश्वव्यापी आपदा के दौरान “इनोवेशनफॉर चेंज” संस्था के माध्यम से आपने लोगों की मदद करके मानवता की नायाब मिसाल पेश की। सेआपके द्वारा तकरीबन दर्जनों से अधिक परिवारों को प्रतिमाह अनवरत रूप से भोजन सामग्री सहित अन्य व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। आपकी एक विशिष्ट खासियत यह भी है कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आप तरह-तरह के लोगों की हर संभव मदद करते रहते हैं लेकिन उसका महिमामंडन या यशोगान अथवा प्रचार-प्रसार नहीं करते। आपने कल्याणकारी कार्यों का जो यह बीड़ा उठाया है इसमें किसी से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लेते हैं मात्र अपने द्वारा ही आप मानवता की सेवा करने का एक विशिष्ट प्रतिमान गढ़ रहे हैं जो अनोखा है।