हर मनुष्य का अपना एक व्यक्तित्व होता है, और यही मनुष्य की पहचान भी है। कोटि-कोटि मनुष्यों की भीड़ में निराले व्यक्तित्ववाला व्यक्ति अपनी विशिष्टता के कारण पहचान ही लिया जाता है। भीड़ से अलग खुद की पहचान बनाने के लिए कुछ अलग करना पड़ता है, बने बनाए रास्ते पर चलना तो आसान होता है लेकिन ऐसे लोग कुछ नया और रचनात्मक कार्य नहीं कर पाते। सफल और मशहूर होने के लिए भीड़ से अलग अपनी पहचान बनाना जरूरी होता है। भीड़ में शामिल लोगों की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं होती है इसके विपरीत जो भीड़ से अलग पहचान बनाते है, उन्हें हमेशा याद रखा जाता है, क्योंकि धारा के विपरीत जो चलते हैं वही सितारे बनकर चमकते हैं। ऐसे ही विशिष्ट व्यक्तित्व के स्वामी हैं राजस्थान के जयपुर निवासी श्री जे. के. जैन जी (Mr. J. K. Jain)।
श्री जे. के. जैन जी छात्र जीवन से ही कुछ अलग करने के लिए इच्छुक रहते थे। पढ़ाई करके आप बैंक में सेवारत हो गए, लेकिन वहां मन को चैन नहीं था, आत्मसंतुष्टि नहीं मिल पा रही थी। कुछ दिन तो आपने बैंक की नौकरी की परंतु एक दिन अचानक विचार आया कि इस नौकरी से मैं अपना घर तो बहुत अच्छे से चला सकता हूँ, पर देश या समाज के लिए कुछ विशेष नहीं कर सकता, इसलिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपना खुद का व्यवसाय करने लगे। अब आप पूर्णतया स्वतंत्र थे, किसी का बंधन नहीं था फलतः अपने अनुसार काम करने में कोई रोक-टोक भीं नहीं थी। फिर क्या था धीरे-धीरे आप अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संस्थाओं एवं व्यक्तियों से जुड़ते गए तथा यथासंभव सहायता करने लगे जो आपको एक स्वभाविक खुशी दे रहा था। क्योंकि आप सदा प्रख्यात संत जनों के सानिध्य में रहते हैं अतः एक बार आपने सोचा हमारे दिगंबर समाज के गुरु (digambar jain sant) हम सबके लिए कितना सोचते है, कितना त्याग करते है, तो क्यों न संतजनों के अच्छे कार्यो को देश-दुनिया के बीच ले जाया जाये तब आपके मन में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का विचार आया। अंततः आपने इस सिलसिले में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क किया फिर परम पूज्यनीय प्रातः वंदनीय मनीषी संत शिरोमणि दिगंबर जैन प्रमुख आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज (Shri Vidya Sagar Ji Maharaj) द्वारा 18 दिसंबर 1975 से लेकर 31 जुलाई 2015 तक 329 लोगों को जैन भिक्षु परंपरा से अभिसिंचित किये गए इस अभूतपूर्व कार्य को सर्वाधिक लोगों को जैन मुनि बनने की दीक्षा देने (Most Jain monasticism bestowed by a muni) के शीर्षक से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया, इसके लिए गुरुदेव का 40 वर्ष का पूरा डाटा जे. के जैन जी ने दिखवाया। इस रिकॉर्ड के बनने के बाद आपने मुनि पुंगव श्री 108 सुधा सागर जी महाराज (Muni punjab shri 108 Sudhasagar ji maharaj) के सानिध्य में 26 अगस्त 2017 से 5 सितंबर 2017 के बीच लगातार 3115 लोगों द्वारा खेस पहनकर ग्यारह दिनों तक मुनियो के आचार-विचार का पालन किया इसे मोस्ट पीपल वेअरिंग खेस (Most people wearing khesh) शीर्षक से दर्ज किया गया। इसके साथ ही 3 सितंबर 2017 को महाराज जी द्वारा ‘त्याग’ विषय पर एक अधिवेशन भी लिया जिसमे 3115 लोगों शामिल हुए, इसे लार्जेस्ट सेशन आन रेकन्सीलिएशन (Largest Session on Reconciliation) शीर्षक से दर्ज करवाने में महती भूमिका निभाई। इसके बाद 31 दिसंबर 2018 को सबसे बड़े दीप यज्ञ (Largest earthen lamp yajna) नाम से भी एक और रिकॉर्ड के दौरान डॉक्यूमेंटेशन की जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाया जिसमे 59520 मिट्टी के दीपक का उपयोग किया गया था। इसके आलावा आपने और भी कई प्रतिभाशाली लोगों को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रेरित कर उनकी वैश्विक पहचान बनवायी। वास्तव में किसी रिकॉर्ड को बनाना जितना मुश्किल होता है उतना ही मुश्किल उसके प्रबंधन जैसे एप्लीकेशन भेजना एवं उसके सभी फ़ोटो, वीडियो, लॉगबुक इत्यादि का डॉक्यूमेंटेशन करना होता है, चूंकि श्री जैन साहब इस प्रबंधन में माहिर है अतः आप इस कार्य मे सभी की स्वेच्छा से सहायता करते रहते है।
इस प्रकार सदैव कुछ अच्छा एवं अलग करने की भावना से ओतप्रोत श्री जे. के. जैन साहब सदैव मानवता के उत्थान हेतु प्रयासरत रहते हैं। कोरोना की विश्वव्यापी आपदा के दौरान आपने हजारों जरूरतमंदों के लिए भोजन, मास्क, सैनिटाइजर तथा पशुओं के लिए चारे आदि की भरपूर व्यवस्था कराने का सराहनीय कार्य किया। इसके लिए राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्रीजी श्री अशोक गहलोत जी (Rajasthan CM, Mr. Ashok Gehlot) द्वारा भी आपकी भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित भी किया गया। इसी तरह से समय-समय पर आप आमजन की सहयता तो करते ही साथ ही घर पर भी पूरा ध्यान देते है, सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी पत्नी का आकस्मिक निधन होने के बाद आपने बच्चो की अच्छे से परवरिश की उन्हें अच्छे संस्कार दिए साथ ही उन्हें अपना रास्ता चुनने में मदद की। इसलिए आज आपका एक खुशहाल परिवार है। आपकी खासियत ये भी है कि अगर आप से कोई एक बार मिल लेता है तो सदैव आपका हो जाता है।