9 के अंक पर गहन शोध करके विश्व स्तर की ख्याति अर्जित कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) तथा लिम्का बुक आदि में अपना नाम दर्ज कराने वाले श्री नवल किशोर राठी (Naval Kishor Rathi) जी के जीवन में एक ऐसा समय भी आया कि, जीवन के संग्राम से मुंह मोड़ कर अपनी इह लीला समाप्त करने तक सोच लिए थे ।बचपन से ही आपके मन में एक प्रश्न कौंधता रहता था कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जब जापान बमबारी द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था उसके बाद भी आज विश्व के विकसित देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा हो गया है, तो भला भारत देश क्यों इस दौड़ में पीछे हैं ।यदि हम सच्चे मन से, ईमानदारी का अनुसरण करते हुए, अपने अपने कार्य करें तो अवश्य ही वह दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान भी पुनः जगद्गुरु का वह ओहदा प्राप्त कर सकता है। महाराष्ट्र प्रांत के अकोला जनपद के एक लगभग विकास के मानदंडों से पिछड़े से गांव उरल में 24 अक्टूबर 1968 को जन्मे श्री राठी जी बचपन में विविध झंझावातों का सामना करते करते, छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में आ गए। यहां रह कर अपनी योग्यता, कर्मठता के चलते एवं गुरुदेव के मार्गदर्शन का आप पर ऐसा असर हुआ कि आपने न केवल अपना जीवन सवांरा अपितु देश के युवाओं को भविष्य की असली ताकत मानकर उन्हें जागरूक करते हैं ।उनके अंदर वह भाव पैदा करते हैं, जिससे देश को शिखरारुढ़ किया जा सके ।आप अभी तक अनेक स्कूलों कालेजों में जा जाकर कई हजार छात्रों को जागरूक कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ प्रांत को विकास की कुंजी मानते हैं तथा छत्तीसगढ़ बनाम जापान नाम का एक मिशन स्थापित कर इस दिशा में अनवरत सन्नध है। आज मात्र छत्तीसगढ़ राज्य में ही नहीं वरन अनेक अन्य जगहों पर भी आप को आमंत्रित किया जाता रहता है, जहां आप लोगों को जागरूक करते हैं।देश की साझी विरासत ,सामासिक संस्कृति ,धार्मिक समरसता आदि के पुनरुत्थान के लिए आप जी जान से लगे रहते हैं।