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प्रकृति ने सिर्फ दो ही रास्ते दिए हैं! "या तो देकर जाएं या, फिर.. छोड़कर जाएं"! साथ ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है! अतःकुछ ऐसा छोड़कर जाए कि हमेशा लोगो कि यादो में बने रहे।
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दुनिया में दान जैसी कोई सम्पत्ति नहीं, लालच जैसा कोई और रोग नहीं, अच्छे स्वभाव जैसा कोई आभूषण नही, और संतोष जैसा और कोई सुख नहीं।
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झुक जाते हैं जो लोग आपके लिए किसी भी हद् तक वह सिर्फ आपकी इज़्ज़त ही नहीं करते, आपसे प्रेम भी करते हैं किसी का सरल स्वभाव उसकी कमज़ोरी नहीं होता है उसके संस्कार होते हैं केवल अहंकार ही ऐसी दौड़ है जहाँ हर जीतने वाला हार जाता है।
“दुनिया की लगभग हर चीज सिर्फ ठोकर लगने से ही टूट जाती है, सिर्फ एक कामयाबी ही है, जो ठोकर खाने के बाद ही मिलती है।”