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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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क्या खुब कहा है किसी ने, बीतता वक़्त है, लेकिन। ख़र्च हम हो जाते हैं। कैसे "नादान"है हम दुःख आता है। तो,"अटक" जाते है! औऱ सुख आता है तो "भटक" जाते हैं।
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बोलना और प्रतिक्रिया करना जरूरी है लेकिन,संयम और सभ्यता का दामन नहीं छूटना चाहिए। हमारे जीवन में अच्छे लोगों का महत्व दिल की धड़कनों की तरह ही है, वह दिखाई नहीं देते लेकिन हमारे जीने का सहारा हैं।
जैसे जैसे आपका नाम ऊंचा होता है, वैसे वैसे शांत रहना सीखिए क्योंकि। आवाज हमेशा सिक्के ही करते है, नोटों को कभी बजते नहीं देखा।