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- दिमाग कचरे का डब्बा नही, जिसमे आप, क्रोध, लोभ, मोह, अभिमान, और जलन रखे, दिमाग एक खजाना है जिसमे आप, प्यार, सम्मान, ज्ञान, विज्ञान, मानवता, दया, जैसी बहुमूल्य चीजे रख सकते है। याद रखिये असफलता अनाथ होती है, और सफलता के रिश्तेदार अनेक होते हैं। जहाँ आप कुछ नहीं कर सकते। वहाँ भी एक चीज जरूर कीजिए। "कोशिश "
- एक व्यक्ति ने भगवान से पूछा, तुझे कैसे रिझाऊं मैं। कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे तुझ पर चढाऊं मैं, "भगवान ने उत्तर दिया" संसार की हर वस्तु तुझे मैनें ही दी है। तेरे पास अपना सिर्फ तेरा "अहंकार" है,जो मैनें नहीं दिया। उसी को तु मुझे "अर्पण" कर दे,"तेरा जीवन सफल हो जाएगा"
- क्रोध आने पर चिल्लाने के लिऐ कोई ताकत नहीं चाहिए। मगर क्रोध आने पर चुप रहने के लिए,बहुत ताकत चाहिए।
“अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं हैं, जितना की सीखने की इच्छा ना रखना।”